मानव जीवन में वनों का महत्व
● प्रस्तावना – हम बात करते हैं मानव जीवन में वनों के महत्व की तो मानव जीवन ही वनों पर टिका है । वन सभी जीवों और पृथ्वी के लिए महत्वपूर्ण हैं । वन वास्तव में प्रकृति के नियमों के सफल संचालन में भी सहभागी हैं, सहायक हैं ।
● वनों की परिभाषा- जहाँ घास, झाड़ी और वृक्षों की प्रधानता होती है , जहाँ 150-200 से.मी. वर्षा होती है वह क्षेत्र वन कहलाता है । वन पशु – पक्षियों के आश्रय स्थल होते हैं ।
●वनों के प्रकार- वनों का वर्गीकरण
▪प्रशासनिक आधार पर –
1) सुरक्षित वन
2) संरक्षित वन
3) अवर्गीकृत वन
▪वैधानिक आधार पर
1) राजकीय वन
2) सामुदायिक वन
3)व्यक्तिगत वन
▪भारतीय वनों के प्रकार –
1)उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन
2)उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र मानसूनी वन
3) उष्ण कटिबन्धीय शुष्क मानसूनी वन
4) मरूस्थलीय वन
5) ज्वारीय वन
6) पर्वतीय वन
● वन सम्पदा – भारत में 78.91 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर वन हैं , जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.07% है । भारत में 102 राष्ट्रीय उद्यान एवं 515 अभ्यारण्य हैं।
● वन विनाश – मानव ने अपनी भौतिक सुख सुविधाओं के लिए वनों का अत्यधिक विनाश किया है जिससे पर्यावरण असंतुलित हुआ है ।
●वन सुरक्षा – मानव को वनों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए , चिपको आंदोलन जैसी क्रांतियाँ रुकनी नहीं चाहिए । सरकार द्वारा भी वन सुरक्षा के लिए वन संरक्षण अधिनियम 1980 लाया गया ।
●वनों का मानव जीवन में महत्व – वन मानव के जीवित रहने और मानव जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण हैं ।
▪ वनों से प्राणवायु – मानव को जीवित रहने के लिए आक्सीजन गैस, जो कि मानव के लिए प्राणवायु है वनों से प्राप्त होती है ।
▪वनों से खाद्य पदार्थ – वनों से ही मानव के लिए खाद्य पदार्थों की प्राप्ति होती है ।
▪वनों से जल की प्राप्ति – वन वर्षा में भी सहायक होते हैं ।
▪ वनों से औषधि की प्राप्ति – मानव को वनों से विभिन्न औषधियों, जड़ी – बूटियों की प्राप्ति होती है। जिससे असाध्य रोगों का भी इलाज संभव है ।
●उपसंहार – वनों का मानव जीवन में अत्यधिक महत्व है । मानव को वनों की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि वनों की रक्षा ही मानव जीवन की रक्षा है । मानव को वन संवर्धन हेतु उपाय करना चाहिए । मानव को वृक्षारोपण करना चाहिए ।
— नवीन कुमार जैन