#पटरियाँ
कभी नहीं मिल पाती
चलती है साथ-साथ एक दूसरे के
मीलों तक ये दोनों पहुंचाती हैं
मुसाफिरों को मंजिलों तक
कितनी बार मगर कभी आपस में मिलती नहीं
इनका संबंध इतना पवित्र है
जब एक टूट जाती है तो
दूसरी का अस्तित्व नहीं रहता
अगर यह दोनों हैं तभी मुसाफिर
मंजिल तक पहुंच सकता है
बिना बोले बिना कुछ कहे
देती हैं साथ एक दूसरे का
शिकायते नहीं करती क्योंकि
इनको पता है यह जी नहीं सकती
एक दूसरे के साथ बिना
एक अजीब एहसास होता है
कि बिना मिले भी इतना
गजब का जुड़ाव संभव है
शायद हां!!!
कुछ इसी तरह से मैं और मेरी जिंदगी
चल रहे हैं बिना मिले
लेकिन एक दूसरे को जानते हुए
एक दूसरे की जुड़ाव को
एक दूसरे के अस्तित्व को
चल रहे हैं
अविरल
जिंदगी और मैं
हमें भी पहुँचना है
मंजिल तक
#पटरियों की तरहा