कविता

प्यार…

जब से रखा उसने
मेरे दिल के दहलीज़ पे कदम
कोने-कोने में हुआ हलचल
दिल होने लगा दीवाना पागल

सांसों में उतरने लगा
उसके एहसासों का कारवाँ
तासीर बनकर घुलने लगा
नस-नस में प्यार उसका

खोई-खोई सी रहती हूँ मैं
उसके ख्वाबों ख्यालों में
होश नहीं रहता अब
कोई और भी है जमाने में

शराब से भी ज्यादा असरदार
इश्क का नशा
इस नशे के आगे हर नशा
पर जाता है फीका

जबतक न मिले आशिक़ का
आगोश भरी बाहें
तन उसके उतावलेपन में
मदहोश होता ही जाए

उफ ये मुहब्बत…..
बड़ी बेदर्द किस्म की है
दिन हो या रात
हर वक़्त बेचैन किए रहती है।

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]