कविता

कविता : कोई पता बता दे हमको

कोई पता बता दे हमको, ऐसे उस घर द्वारे का
जहाँ न कोई हिन्दू मुस्लिम, न सेवक गुरूद्वारे का।
जहाँ मुझे इंसान मिले, और बोले इंसानो की बोली
मेरे संग वो ईद मनाये, और खेले रंगो की होली
कोई पता बता दे हमको, भर दे खाली ये झोली
मुस्लिम भाई के आँगन से’ उठे हिन्दू बहनो की डोली
मुफ्त नहीं मैं पूछता हूँ, तुम दाम भी लेलो
पैसे लेलो, सांसे लेलो, और तुम मेरा नाम भी लेलो।
ये प्यार नहीं ला सकता मैं, दुनियां के बाजारों से
आज हर कोई ठगा हुआ है, समाज के ठेकेदारो से।
क्या होगा आखिर सच, सपना उस बापू प्यारे का
कोई पता बता दे हमको, ऐसे उस घर द्वारे का
जहाँ न कोई हिन्दू मुस्लिम, न सेवक गुरूद्वारे का।

सौरभ दीक्षित 

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) [email protected] जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,