कविता : समर्पण
शब्द गीतों को समर्पित
प्राण जीवन को समर्पित
और क्या अर्पण करु तुम्हें मै
मेरा सब कुछ तुमको समर्पित ।
मन की हर बात समर्पित
वीणा के हर तार समर्पित
मेरी बाँहों का हार समर्पित
बगिया की बहार समर्पित ।
मुझे सबका जो स्नेह मिला है
उनको भी मेरा नेह समर्पित
मन समर्पित ,तन समर्पित
जीवन का हर आनन्द समर्पित ।
— सपना परिहार