गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

वो खामोशियों में भी कुछ सुनाने लगे हैं।
रह रहकर हमें यूंही आज़माने लगे हैं।

मिलते नहीं ख्याल अपने किसी से यूं ;
वो जाने मगर क्यों पास आने लगे हैं।

रातभर चाँद का नभ पर पहरा लगा था;
गली में उनकी जुगनू टिमटिमाने लगे हैं।

छोड़ दो बेवजह ख्वाबों में आना जाना;
हम नींद से यूंही अब कतराने लगे हैं।

तेरी कसम हसीं देखा नहीं तुझ सा कहीं;
मचलती धड़कनों को यह समझाने लगे हैं।

कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |