योग एक वरदान
योग आज के युग में एक वरदान है। बिना कुछ खर्च किये केवल कुछ नियमों का पालन करने और कुछ मिनट तक आसनों और प्राणायामों का अभ्यास करने से ही कोई व्यक्ति सदा स्वस्थ और क्रियाशील बना रह सकता है। जो इसके लिए समय के अभाव का रोना रोते हैं, उन्हें बीमारियों और डाक्टरों के क्लीनिकों के बाहर लाइन लगाने के लिए समय देना पड़ता है। फिर उसमें जो धन खर्च होता है उसे कमाने में और अधिक समय लगाना पड़ता है। इस प्रकार सोचा जाय तो योग का अभ्यास करना ही समय को बचाने और उसका सर्वश्रेष्ठ उपयोग करने का एक मात्र उपाय है।
बहुत से लोग केवल कुछ आसनों और प्राणायामों को ही योग मानते हैं। यह ठीक नहीं है। यम और नियम के आधार के बिना केवल आसनों और प्राणायामों का अभ्यास करना शारीरिक दृष्टि से लाभदायक हो सकता है, लेकिन सामाजिक और मानसिक दृष्टि से नहीं। इसलिए यम और नियमों का पालन करना अति आवश्यक है। इनमें यम हमारे सामाजिक व्यवहार को परिभाषित करते हैं और नियम हमारे व्यक्तिगत व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। इन सब का शरीर और मन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रायः यह देखा गया है कि अधिकांश युवक अपने स्वास्थ्य को गम्भीरता से नहीं लेते। अपनी जवानी के नशे में वे समझते हैं कि जो भी कर रहे हैं, जो भी खा-पी रहे हैं, सब ठीक है। बदलती हुई जीवन शैली का बुरा प्रभाव देर-सबेर स्वास्थ्य पर पड़ता ही है। जवानी के कारण वे छोटी-मोटी असुविधाओं को किसी सीमा तक झेल जाते हैं। लेकिन 40-45 की उम्र तक पहुँचते-पहुँचते वे तमाम बीमारियों से घिर जाते हैं और फिर योग की तरफ झुकते हैं। यदि वे प्रारम्भ से ही योग को अपना लें और अपनी जीवन शैली को संतुलित रखें, तो उन्हें बढ़ती हुई उम्र में कोई रोग होगा ही नहीं। इसलिए सभी को जितना जल्दी सम्भव हो उतनी जल्दी योग का अभ्यास शुरू कर देना चाहिए।
माताओं और बहनों के लिए तो योग और भी अधिक उपयोगी है। उनके ऊपर समस्त परिवार के स्वास्थ्य, भोजन और सुख-सुविधा का प्रबंध करने का भार होता है। यदि वे स्वयं योग और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहेंगी, तो समस्त परिवार पर उसका अच्छा संस्कार पड़ेगा। परमपूज्य योगमहर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज की अपार विश्वव्यापी लोकप्रियता और सफलता का रहस्य ही इस बात में है कि जिस
योग को पहले आश्रमों, साधु-सन्तों और वृद्धों का विषय माना जाता था, उसे उन्होंने टेलीविजन के माध्यम से घर-घर पहुँचा दिया है। अब तो योग को विश्वव्यापी मान्यता और लोकप्रियता मिल गयी है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग को मान्यता दी है और 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने की स्वीकृति दी है। इससे अब संसार के लगभग 200 देशों में करोड़ों लोग नित्य योग करते हैं और उसका लाभ उठाते हैं।
— विजय कुमार सिंघल
आषाढ़ कृ 5, सं 2074 वि. (14 जून 2017)