कविता

बेटियाँ

” बेटियाँ ”
भगवान की अदभुत देन है बेटियाँ
जन्म होने पर घर-आंगन में
आ जाती है बहार
उसकी मुस्कराहट से
चहक उठता है सारा संसार
माता-पिता बेहतर भविष्य की कल्पना में,
उसकी शिक्षा और विवाह के सपने संजोये
दुनिया बोले बेटियाँ होती हैं पराया-धन…पर
माँ पापा के दिल का टुकड़ा होती है बेटियाँ
हमेशा *करीब* रखना होता है
मात्र इक सपना
खून पसीने से सींच
नाजुक कली को सिखाते हैं
हक के लिये लडना दुनिया जहां से
हर गुर सिखाते हैं मजबूत बनाने का
घर-परिवार को सुचारु रूप से चलाने के
हर नियम कायदे से रूबरू कराते हैं
अपने कलेजे के टुकड़े को
किसी और को सौंपने
हो जाते हैं तैयार
यही है, हाँ यही है माँ पापा का प्यार

संयोगिता शर्मा

जन्म स्थान- अलीगढ (उत्तर प्रदेश) शिक्षा- राजस्थान में(हिन्दी साहित्य में एम .ए) वर्तमान में इलाहाबाद में निवास रूचि- नये और पुराने गाने सुनना, साहित्यिक कथाएं पढना और साहित्यिक शहर इलाहाबाद में रहते हुए लेखन की शुरुआत करना।