गीतिका
प्यार क्या शै है,ज़रा मुझको बताया जाए ,
भाव राधा का आज दिल में जगाया जाए !
ज़हर भी बन सकता ,अमृत के प्याले सा,
भक्ति मीरा की लेके ,दिल को सजाया जाए !
ढाई आखर को तभी समझोगे प्रियवर तुम,
अपने अंदर जो अगर ईश बसाया जाए !
आयेगा रहने को अल्लाह छोड़कर मस्जिद,
शर्त यह दिल को शिवाला सा बनाया जाए !
गंगा का नीर हो,या यमुना का जल हो ,
पहले पर सत्य के जल में तो नहाया जाए !
पौधे तुम रोपते हो कि सुधरे मौसम यह,
पहले ईमान हर इक दिल में उगाया जाए !
है देवों की यह धरा,यह तो पावन धाम,
इसे दुनिया का गुरू फिर से बनाया जाए !
— प्रो. शरद नारायण खरे