गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

प्यार क्या शै है,ज़रा मुझको बताया जाए ,
भाव राधा का आज दिल में जगाया जाए !

ज़हर भी बन सकता ,अमृत के प्याले सा,
भक्ति मीरा की लेके ,दिल को सजाया जाए !

ढाई आखर को तभी समझोगे प्रियवर तुम,
अपने अंदर जो अगर ईश बसाया जाए !

आयेगा रहने को अल्लाह छोड़कर मस्जिद,
शर्त यह दिल को शिवाला सा बनाया जाए !

गंगा का नीर हो,या यमुना का जल हो ,
पहले पर सत्य के जल में तो नहाया जाए !

पौधे तुम रोपते हो कि सुधरे मौसम यह,
पहले ईमान हर इक दिल में उगाया जाए !

है देवों की यह धरा,यह तो पावन धाम,
इसे दुनिया का गुरू फिर से बनाया जाए !

प्रो. शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com