विधाता छ्न्द— गाँव
मनोरम गाँव की गलियाँ छटा मन को लुभाती है
बगीचा आम महुआ आँवला कटहल सजाती है
सई की धार भी अनुपम लता छवि श्याम सुंदर की
मधुर झंकार उपवन की मुझे बरबस बुलाती है
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’
मनोरम गाँव की गलियाँ छटा मन को लुभाती है
बगीचा आम महुआ आँवला कटहल सजाती है
सई की धार भी अनुपम लता छवि श्याम सुंदर की
मधुर झंकार उपवन की मुझे बरबस बुलाती है
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’