सारसी मुक्तक -फसल
फसल उगाता वह मर जाता, मँहगाई की मार
जहर घोलता राजनीति जब, तन्हाई में प्यार
बरस रहा जल झुलस रहा घर, विधना कैसा खेल
चढ़ा अषाढ़ विषाद भरा दिल , तरुणाई लाचार
— राजकिशोर मिश्र राज
फसल उगाता वह मर जाता, मँहगाई की मार
जहर घोलता राजनीति जब, तन्हाई में प्यार
बरस रहा जल झुलस रहा घर, विधना कैसा खेल
चढ़ा अषाढ़ विषाद भरा दिल , तरुणाई लाचार
— राजकिशोर मिश्र राज