इतिहास का फिर उनको पता क्या है !
हमारे दरम्यां अब कुछ बचा क्या है।
इस ज़िन्दगी में अब मज़ा क्या है।
हर ओर मुफलिसी का अब दौर है;
आम आदमी की भी खता क्या है।
कश्मीर को हमसे छीन लेंगे वो लोग;
इतिहास का फिर उनको पता क्या है।
सरज़मीं की आन होती है सर्वोपरि;
छोड़ो अब कि गद्दारों ने कहा क्या है।
धर्म और जाति आती हैं बाद में;
मातृभूमि का फर्ज भी पता क्या है।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !