गीत
बंधु हैं अपने सभी यह बोल कर कब तक छलेंगे।
सैनिकों की छातियों पर कब तलक पत्थर पड़ेंगे।।
जल रही हैं सैनिकों की देखिये कितनी चिताएँ,
आज फिर से देश पर ये छा रही तम की घटाएँ,
शत्रुओं का नाश हो यह ठोक सीना कब कहेंगे?
सैनिकों…
भारती का पुत्र जाधव कैद सीमापार है क्यों?
सिंहनी के लाल होकर शत्रु की मनुहार है क्यों?
गीदड़ों की गलतियों को यों क्षमा कब तक करेंगे?
सैनिकों…
युद्ध में हमसे लड़े सिर झुक गया हर बार उनका,
बुद्ध के पथ पर चले तो सह गए हर वार उनका,
दीजिये उत्तर यहाँ कब वक्ष रिपुओं के फटेंगे।
सैनिकों….
— उत्तम सिंह ‘व्यग्र’
मो. 9414445432