कविता

गाँधी जी कुछ तो बोलो

गाँधी जी कुछ तो बोलो
अरे गाँधी जी कुछ तो बोलो
बाबर की भाषा अब भी
कैसे कुछ लोग बोलते है
चबा के चारा पशुओ का
कैसे कुछ लोग डोलते है
भारत का खाना खाते है
पानी भारत का पीते है
लेकिन इनकी हिम्मत देखो
जय पकिस्तान बोलते है
भारत तेरे टुकड़े होंगे
जिन लोगो का यह नारा है
राहुल , केजरीवाल को को वो
भारत माता से प्यारा है
चुप्पी तोड़ो गाँधी जी
कुछ तो बोलो कुछ तो बोलो
एक बार बाँट करके भारत
दुनिया को तुमने दिखा दिया
एक बार बंटेगा फिर भारत
ऐसा उपाय क्यों लगा दिया
एक फ़ौज खाड़ी कर दी भारत में
काहिल औ मक्कारों की
मतदान बना दी रोजगार
जाती के ठेकेदारों की
कैसे बदलेगा यह सिस्टम
इस पर अब तुम्ही बोलो
बापू तेरा नाम बहुत है
दुनिया के अखबारों में
अज शीर्ष पर भी नेहरु है
भारत के गद्दारों में
खुद को बाँट दिया होता
गर देश नहीं बंटने देता
गौतम की इस धरती पर
गोडसे नहीं पैदा होता
सरकार अहिसक होती है
तो देश नपुंसक हो जाता है
गाँधी पैदा होते है बहुत
गोडसे नहीं फिर आता है
सत्ता वोट से कभी नहीं
बन्दूको से निकलती है
बाजू में जितना दम होगा
सीमा उतना फूलती फलती है
कृष्ण निति का राज
अपने शिष्यों पर खोलो

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104