दोहा छ्न्द के प्रकार – गुरु लघु विशेष
दोहा
विषम चरण में ४+४+३+२ या ३+३+३+२+३ =१३
चार चरण दो पंक्ति में , भरा काव्य का सार ।
कबिरा तुलसी जायसी , छन्द किया विस्तार ।
चार चार औ तीन दो , त्रिपल [त्रिकल] तीन दो तीन ।
विषम चरण चरण तेरह लिखें, कल महिमा जल मीन । ।
ग्यारह मात्रा सम चरण , चौकल चौकल तीन ।
तीन तीन दो तीन लिख , मोहन गोपी लीन ।
बल दोहा [११ गुरु +२६ लघु वर्ण==४८]
कर करनी कर जानिए, कर सुधार संसार ।
कर बिन जीवन जग वृथा, कर करता विस्तार
त्रिकल दोहा [९ वर्ण दीर्घ [गुरु] ३० लघु वर्ण
बाइस गुरु लघु शेष लिख, दोहा भ्रमर सुजान।
इक्कीस गुरु विशेष लघु, कहत सुभ्रमर महान ।
पयोधर दोहा [१२ गुरु+२४ लघु=४८]
शरभ बीस गुरु आठ लघु, उन्नीस श्येन गुरु मान।
अड़तालिस में बाँट कर, मन लघु दीजै स्थान ।
हंस दोहा -14 गुरु वर्ण +२० लघु= ४८
मण्डूक अट्ठारह लिखें, मर्कट सत्रह ज्ञान
दीर्घ वर्ण वर्णन करूँ, सोलह करभ विधान
पान दोहा [10 गुरु वर्ण + 28 लघु वर्ण =४८ मात्रा]
नर पंद्रह गुरु वर्ण लिख, चौदह गुरु में हंस
तेरह गुरु गयंद वृहद, शेष छ्न्द लघु अंश
पयोधर गुरु वर्ण रचत, जस ग्यारह धन एक
ग्यारह गुरु ‘बल’ साधना, दस गुरु ‘पान’ अनेक
नौ से छ्न्द त्रिकल रचि, अष्टम कच्छप छ्न्द।
लघु की गणना कवि करें, लगे मधुर जस कन्द।
सात मच्छ , शार्दूल छह, अहिवर गुरु लिख पाँच
व्याल चार चालीस लघु, गुरुता अनुपम आँच
तीन विडाल गुरु लघु रचि पिंगल ज्ञानी शेष
दो गुरु श्वान विशेष लघु, शारद छ्न्द विशेष
उदर एक गुरु साधिये, छ्न्द गेयता ध्यान ।
सर्प शुन्य महिमा अमित, लघुता यहाँ प्रधान।
— राज किशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी