वन महोत्सव
मौका था वन महोत्सव का,आयोजन विद्यालय परिसर के प्रांगण में होना था।कार्यक्रम का उद्घाटन करने माननीय मंत्री महोदय पधारने वाले थे।तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं।कार्यक्रम के लिए एक बड़े पांडाल की व्यवस्था होनी थी।चूंकि बरसात का मौसम था इसलिए वाटरप्रूफ पांडाल लगना था।रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए बहुत दूर-दूर से कलाकारों को बुलाया गया था।सभी तैयारियों के बीच एक बड़ी समस्या खड़ी हो गयी।विद्यालय के प्रांगण के बीच में नीम का एक विशाल वृक्ष था जो पांडाल लगाने में बाधा उत्पन्न कर रहा था।ग्राम प्रधान से लेकर बीडीओ तक सब परेशान थे पर समस्या का कोई हल नहीं निकल रहा था।चूँकि मंत्री महोदय का कार्यक्रम था इसलिए व्यवस्था में किसी तरह की कोताही क्षम्य नहीं थी।अंत में सर्वसम्मति से यह निर्णय हुआ कि इस वृक्ष की कुछ शाखाओं को काट दिया जाय तो शायद समाधान हो सकता है।शाखाओं को काटा गया,पर काम नहीं बना फिर धीरे-धीरे सभी शाखाओं को काट दिया गया,केवल मुख्य तना शेष रह गया।प्रांगण में विशाल पांडाल बनकर तैयार हो गया।एक बड़ा सा मंच बनाया गया।अब पुनः एक नयी समस्या खड़ी हो गयी।वृक्ष का वह मोटा से तना मंच के ठीक सामने बाधा बनकर खड़ा था।अब श्रोताओं के बैठने की व्यवस्था कैसे हो? चूँकि माननीय मंत्री महोदय व अन्य तमाम वक्ता वन महोत्सव की महत्ता से सभी को परिचित कराने वाले थे।अन्ततः आनन-फानन में आरा मशीन की व्यवस्था की गयी और उस तने को काटकर गिराया गया।पांडाल में कुर्सियां लगवाकर सभी व्यवस्थापकों ने राहत की सांस ली।तय समय से लगभग दो घंटे बाद माननीय मंत्री महोदय विधायकगणों के साथ पधारे।कलाकारों ने स्वागत गीत गाये।वन महोत्सव में शायद प्रकृति भी भागीदारी करना चाहती थी इसी कारण मूसलाधार वर्षा शुरू हो गयी।मंत्री जी व विधायकगणों ने छातों की छाँह के मध्य मंत्रोच्चारण व शंखध्वनि के बीच पीपल वृक्ष को रोपित कर वन महोत्सव की शुरुआत की।सभी आगंतुकों को भोजन कराया गया।कलाकारों ने सुंदर गीतों के द्वारा लोगों का मनोरंजन किया।वन विभाग की ओर से मंत्री जी को रुद्राक्ष का एक पौधा भेंट किया गया तथा अपनी गरिमामयी उपस्थिति के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया।इस प्रकार वन महोत्सव सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया था।