कविता

आ गया सावन

लो फिर आ गया है सावन
सबका मतवारा यह सावन

गीत गायेंगी मिलकर सखियाँ
प्रेम से विभोर होंगी अँखियाँ

प्रीतम को पुकारेंगी गीतों में
खुद को संवारेंगी गीतों में

गरजेंगे बादल , बिजली चमकेगी
पिया मिलन की आस भड़केगी

होगा शृंगार , हरित धरा का
हरियाली चहुँ और बिखरेगी

खिलेगा यौवन , बरसेंगे बादल
प्रेम विभोर हो गरजेंगे बादल

सावन भादों की लग जाएगी ज़डीयां
हाथों पर खनकेंगी चूडियां
नाचेंगे मोर , अपने पंख फैलाये
इंतज़ार रहे कब यह ऋतू आये

कल्पना भट्ट

कल्पना भट्ट श्री द्वारकाधीश मन्दिर चौक बाज़ार भोपाल 462001 मो न. 9424473377