गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

क्या मुहब्बत का मेरी आज असर है कोई
हो रहा बोध या खुशियों की लहर है कोई|

जो निभाता सबसे हो सबका ही माना
आप कहे ये भी अब मान सफर हैं कोई

हैं लिया पग पे ठोकर ना समझे जब वो
अब ना ठोकर का भी होश असर हैं कोई |

न खबर न कोशिश पाया मन यूँ हैं
सोच जाना हैं तो क्या सफर हैं कोई |

रात दिन मशरूफ काम खबर है कोई
होश हो तो सोचे  ये बसर हैं कोई |

आफते तो ले कर चलते सब जीवन में
होश इनके संग ले चल हसर हैं कोई |

हाथ में हाथ ठहर रिश्ते जब पाये
नफरते सोच कही ज़ान भँवर हैं कोई|

सोच अब ठान इवादत हो जंग की राहें
देश की बढ़त बनी आन नजर हैं कोई |

रोज़ दुनिया में लुटाता पाया प्यार अपना
कौन है फाका कब जान खबर है कोई|

रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]