गज़ल
क्या मुहब्बत का मेरी आज असर है कोई
हो रहा बोध या खुशियों की लहर है कोई|
जो निभाता सबसे हो सबका ही माना
आप कहे ये भी अब मान सफर हैं कोई
हैं लिया पग पे ठोकर ना समझे जब वो
अब ना ठोकर का भी होश असर हैं कोई |
न खबर न कोशिश पाया मन यूँ हैं
सोच जाना हैं तो क्या सफर हैं कोई |
रात दिन मशरूफ काम खबर है कोई
होश हो तो सोचे ये बसर हैं कोई |
आफते तो ले कर चलते सब जीवन में
होश इनके संग ले चल हसर हैं कोई |
हाथ में हाथ ठहर रिश्ते जब पाये
नफरते सोच कही ज़ान भँवर हैं कोई|
सोच अब ठान इवादत हो जंग की राहें
देश की बढ़त बनी आन नजर हैं कोई |
रोज़ दुनिया में लुटाता पाया प्यार अपना
कौन है फाका कब जान खबर है कोई|
रेखा मोहन