ज़रा चाय ले आना
फिफ्टी -फिफ्टी की दुनियाँ का ,आया नया जमाना ।
बीबी प्रियतम से कहती है ज़रा चाय ले आना । ।
आज मुझे कविसम्मेलन में , कविता नई सुनानी है ।
चिंटू पिंटू की मौसी की , रचना बहुत पुरानी है । ।
कापीराइट्स के लफड़े में , प्रियतम मुझे न पड़ना है ।
बत्तीस एक बनी प्रतिष्ठा , तैतिस मुझे न करना है । ।
बुढ़िया की कविता के बल पर , सिम्बल सारा अपना है ,
घी शक्कर औ मंडप खर्चा , मुप्त मिला यश जपना है । ।
ज़रा तुम देखो घर बच्चों का, कविता मुझको रटना है ।
मौसम सावन का प्रियतम है , ज़रा पकौड़ी ले आओ,
तीखी चटनी धनिया लहसुन, पुदीना से स्वाद बनाओ।
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढी