गज़ल
तू था शायद खफा-खफा मुझसे,
तभी खुल के नहीं मिला मुझसे
तेरा लहजा बयान करता है,
बाकी है तुझे गिला मुझसे
अक्स तुझमें किसी का दिखता है,
ये आईने ने कल कहा मुझसे
जैसे-जैसे तू दूर होता गया,
दूर होती गई दुआ मुझसे
करना क्या है दुनिया लेकर,
जब तू ही बिछड़ गया मुझसे
और कुछ तो रहा नहीं बाकी,
मत छीनो मेरी अना मुझसे
— भरत मल्होत्रा