छपाक छैया- लम्हें बारिश के।
छपाक छैया, ताल तलैया,
नाचें हम बादल संग भैया।
छपाक छैया!
आसमान से गिरती बूंदें,
तन को अपने सहलाती है,
ठंडी ठंडी चले हवाएं,
मन को अपने हर्षाती है,
कागज की नाव चली तो,
मां लेती है अपनी बलैया।
छपाक छैया।
छपाक छैया, ताल तलैया,
नाचें हम बादल संग भैया।
छपाक छैया।
काले-काले बादल छाए,
बालमन को जो हैं डरायें,
युवा हृदय में प्रेम जगाकर,
घनघोर घटाएं इन्हें लुभायें
कृषक हृदय को हर्षित करती,
जो हम सब के हैं अन्न देवैया।
छपाक छैया।
छपाक छैया, ताल तलैया,
नाचें हम बादल संग भैया।
छपाक छैया।
— प्रदीप कुमार तिवारी
7537807761