बरस गयो रे
बरस गयो रे सखी सावन की बदरी |
भीगा मेरा तन मन भीग गई चुनरी ||
लाई पुरवाई साजन का संदेशा |
छलक गयो रे मेरे भावों की गगरी ||
देखो सात रंग में रंग गया अम्बर |
बीच बदरी के चम चम चमक गई बिजुरी ||
अंगना में रिमझिम पड़े रे फुहारवा
आओ सखियों आज लेना नहीं छतरी ||
पायल झनक गईं चूड़ियाँ खनक गईं |
आओ सखियों संग गायें अभी कजरी ||
©किरण सिंह