आधी आबादी
चील सी घूरती
भेदती नज़रें
झपट पड़ने को लालायित
समझ मात्र … माँस का लोथड़ा
सहमी दिखे … आधी आबादी ।।
कहीं किसी की कोख को भर के
कहीं कोख को खाली करके
प्रताड़ित करते भूखे भेड़िये
इस टूटन का … दर्द झेलती
भयाक्रांत दिखे … आधी आबादी ।।
पाने को अपना अस्तित्व
खोखली प्रथाओं से टकराती
कभी हाशिए पर खड़ी दिखती
कहीं बुलंदी को छू जाती
है सबला… पर फिर भी अबला
क्यों दिखती है … आधी आबादी ।।
अंजु गुप्ता