कविता

आधी आबादी

चील सी घूरती
भेदती नज़रें
झपट पड़ने को लालायित
समझ मात्र … माँस का लोथड़ा
सहमी दिखे … आधी आबादी ।।

कहीं किसी की कोख को भर के
कहीं कोख को खाली करके
प्रताड़ित करते भूखे भेड़िये
इस टूटन का … दर्द झेलती
भयाक्रांत दिखे … आधी आबादी ।।

पाने को अपना अस्तित्व
खोखली प्रथाओं से टकराती
कभी हाशिए पर खड़ी दिखती
कहीं बुलंदी को छू जाती
है सबला… पर फिर भी अबला
क्यों दिखती है … आधी आबादी ।।

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed