कविता

आँखों में सपने पलते है

सच्चाई को भुलाए,
बस अपनी ओर बुलाए,
गहरी निंद्रा में सुलाए, 
मनचाही राह  चलते है ।
आँखों में सपने पलते है ।।
डूबते को मिले कोई  सहारा,
काश मिल जाए कोई किनारा,
होकर बिल्कुल ही बेसहारा,
मंजिल की राह तकते है ।
आँखों में सपने पलते है ।।
पहाड़ो से ऊंचे उड़ते है,
पवन से तीव्र बहते है,
दामिनी से चमकते है,
तरंगे बन उमड़ते है ।
आँखों में सपने पलते है ।।
खयाली पुलाव पकाते,
कभी हवाई किले बनाते ,
आशाएँ नित-नई दिखाते,
कल्पित गेह में रहते है ।
आँखों में सपने पलते है ।।
वर्तमान से पलायन करते,
आलस्य की ज्वाला में जलते,
कभी बनते तो कभी बिखरते,
संकल्प नित नूतन करते है ।
आँखों में सपने पलते है ।।

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]