गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

फूल में अब ख़ास क्या, जो रंग गुलसन में नहीं
रूप का अम्बार सजनी का जो’ दामन में नहीं |
प्रेम पर परवान की कीमत, अगर घर तोड़ना
शमअ रौशन भी कहाँ, जब रश्मि खिरमन में नहीं |
रिश्तों’ का वो जख्म को सिलना, बढ़ाना दर्द और
दर्द का वो जायका क्या ज़ख्में’ सोजन में नहीं ?
मौजे’ मय बर्बाद मुझको कर दिया है इस कदर
खो गया सब हौसला, कोई लहर मन में नहीं |
वो जवानी की रवानी अब कहाँ है जीस्त में
खूं निचोड़ा वक्त ने सब, जोर अब तन में नहीं |
पेड़ पौधे काटकर बंजर किया धरती तमाम
हर तरफ मदहोश घर, तुलसी भी’ आँगन में नही |
मेघ का बदला रवैया, अब ठिकाना लापता
सुख गयी धरती यहाँ, बारिश तो’ सावन में नहीं |
यूँ ज़माना बदला’ ‘काली’, हो गया दिल कटु बहुत
वायु उत्तेजित है’, ठंडक अब तो’ चन्दन में नहीं |
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !