ख़ुशी कहाँ है …
जिसके पास कुछ भी नहीं, मैंने उसे भी हँसते देखा है,
जिसके पास है सब कुछ ,मैंने उसको भी रोते देखा है ,
इनमे कौन महान है और कौन तुच्छ , ???
यही तो है ज़िंदगी का झूठ और सच .
कोई रूखी सूखी खाकर भी, उस प्रभु को याद करता है,
कोई खाकर पकवान , उसका धन्यवाद नहीं करता है,
कोई खुले आसमान के नीचे ही, गहरी नींद सोता है,
कोई वातानुकूलित कमरों में बंद,रात रात भर रोता है,
महलो में रहने वाला उदास है. सब कुछ उसके पास है,
झौंपड़ी वाला सुखी है, न कोई लालच न कोई आस है,
एक हँसता गाता रहता है, एक सदा दिखता बेज़ार है,
क्यों क्यों? क्या हकीकत है या केवल मन का विकार है…
यही तो उस परम परमेश्वर प्रभु की अद्भुत माया है ,
सुखी वही है जिस के सर पर प्रभु का साया है ,
— जय प्रकाश भाटिया