कविता

नागपंचमी

सुबह मेरे जागते ही
पत्नी मुझे देखकर
मुस्कराई
मेरे पास आई !
बोली मुंह – हाथ
धो लो
फिर मैं
आती हूं
आपको कुछ
पिलाती हूं !
थोड़ी देर में
एक प्याला लिए वो
मेरे पास आई
कुछ कुछ
इठलाई !
मैं चाय का प्याला समझ
प्रसन्न हो गया
उसके
आसन्न हो गया !
पर चाय की जगह
प्याले में दूध देख
मैं चकराया
कुछ समझ ही
न पाया !
मेरी जिज्ञासा देख
बीवी ने रहस्य
खोला
अपने अधरों से यूं बोला-
” चाय की जगह
प्याले में दूध
देखकर
श्रीमान् जी
आप क्योंकर
हंसते हो
अरे ,पतिदेव
आप क्या कोई नाग से
कम डसते हो !
इसीलिए आपको
दूध पिलाकर
आपके नागत्व को
भुना रही चमी का पर्व
मना रही हूं !!”
                   
— प्रो. शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]