मेरी विनती सुनो हे अविनाशी
मेरी विनती सुनो हे अविनाशी, मेरी विनती सुनो हे अविनाशी
मंगल कर दो, झोलियां भर दो, हे शंकर हे कैलाशी- मेरी विनती—–
1.तुम जानो मेरी किसमें भलाई, कहलाते घट-घट वासी-
2.आनंद की वर्षा प्रभु कर दो, हे आनंदघन सुखराशि-
3.सद्गुणमय जीवन को कर दो, हे सद्गुणमय दुःखनाशी-
4.अपनी लगन दो, शक्ति से भर दो, मन को करो पावन काशी-
5.तुझको छोड़ कहां अब जाएं, तेरे दरश के अभिलाषी-
(तर्ज़- पग घुंघरु बांध मीरा नाची रे——–)
आदरणीय बहनजी ! बेहद सुंदर भजन के लिए धन्यवाद ।