कहानी

कहानी – बच्चे का मोल-तोल

मेरे घर से लगभग चार-पांच किलोमीटर की दूरी पर एक अनाथ- आश्रम है। जिसमें दो साल से लेकर पंद्रह साल तक के बच्चे है। सभी बच्चों को बड़े प्यार से रखा जाता है। उनकी शिक्षा का भी उचित प्रबंध किया गया है। वहां के कुछ बच्चे तो इस साल दसवीं की परीक्षा देने के लिए तैयार हो चुके हैं मैं अक्सर वहां जाती हूँ । उन बच्चों के साथ बात करके मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैं उन्हें छोटी छोटी नैतिक मूल्यों वाली कहानियाँ सुनाती हूँ । विवेकानंद केंद्र की पदावली पुस्तक से उनको देश भक्ति के गीत तथा गीता पाठ कराती हूँ। मैं अपना तथा अपने बच्चों जन्मदिन भी उन्हीं के साथ मनाती हूँ । 15 अगस्त, 26 जनवरी व दिवाली आदि पर्वों पर भी मैं अवश्य जाती हूँ।मेरा उन बच्चों के साथ अपनत्व का रिश्ता जुड़ चुका है। ज्ञान अमृत में अक्सर लोग बच्चों को लेने के लिए आते रहते हैं। वहां के बहुत से बच्चे अच्छे अच्छे घरों में हैं और पढ़ लिख कर ऊँचे पदों पर आसीन हैं ।
एक शाम जब मैं वहां गई तो किसी भी बच्चे का मन कहानी सुनने में नहीं लग रहा था ।सभी बच्चे बहुत उदास बैठे थे । पूछने पर पता चला कि सात साल का चिंटू चला जाएगा। कोई गोखले नाम के दंपत्ति उसको लेने आ रहे हैं।बहुत बड़े कपड़े के व्यापारी है। भगवान ने उन्हें कोई संतान नहीं दी इसलिए वह एक बच्चे को गोद लेना चाहते हैं। यही कारण था कि सभी बच्चे उदास थे। चिंटू बहुत ही समझदार बच्चा था । पढ़ने में भी बहुत अच्छा था । सभी बच्चे चिंटू को बहुत प्यार करते थे । वह बहुत ही अनुशासन में रहता था । सब का सम्मान करता था । जब भी कोई किसी एक बच्चे को कोई लेने आता था तो सभी बच्चे उदास हो जाते थे और उस रात खाना नहीं खाते थे । आज फिर वही स्थिति थी।
वीनू वहां पर सबसे बड़ा था ।वह सभी बच्चों को बहुत प्यार करता था । वह एक कोने में उदास बैठा था । अचानक वह बोल उठा- दीदी क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि हम सब यही रहे कोई हमें न ले जाए। मैंने उन्हें प्यार से समझाया क्या तुम लोगों को नहीं चाहते कि हम भी अपने माता-पिता के साथ रहे जैसे और बच्चे रहते हैं। यह लोग तुम्हारे माता-पिता बनकर आते हैं। तुम्हें जीवन की हर खुशी व सुख देते हैं । मेरी बात उनकी समझ में आ गई । और सभी बच्चे थोड़ा सामान्य हो गए ।
हम लोग बात ही कर रहे थे कि वे गोखले दंपति आ गए । वहां के आचार्य जी बहुत ही नेकदिल इंसान हैं । वे सभी बच्चों को अपने बच्चों जैसा स्नेह देते हैं। किसी बच्चे के बीमार होने पर रात भर सोते नहीं हैं । उन्होंने गोखले दंपत्ति को अपने कक्ष में बैठाया । पहले आचार्य जी ने उनसे काफी देर बात की फिर चिंटू को बुलाने का आदेश दिया गया । चिंटू डरा व सहमा हुआ था ।वह जाना नहीं चाह रहा था । मैं सात साल के चिंटू को गोद में लेकर कक्ष में गई । मेरे पीछे पीछे सभी बच्चे भी वहां आकर दरवाजे की ओट में खड़े हो गए ।
अब चिंटू उन दंपत्ति के समक्ष खड़ा था । जिस तरह सब्जी खरीदते वक्त देखी परखी जाती है। उसी तरह वे गोखले दंपत्ति चिंटू को देख रहे थे । वे आचार्य जी से बोले आपने तो कहा था बच्चा बहुत सुंदर है यह तो काला है । नैन नक्श भी अच्छे नहीं है । मैं भी पीछे खड़ी सब बातें सुन रही थी । आचार्य जी ने कहा आप कन्या ले लीजिए। जीवन भर सुखी रहेंगे । स्त्री बोल पड़ी- अरे लड़की तो हम हरगिज नहीं लेगें हमें अपने कुल का वारिस चाहिए । लड़की लेकर हम क्या करेगें । उसके विवाह में कितना खर्चा होगा।लड़का तो हमारे बुढ़ापे की लाठी होगा और उसके विवाह में दहेज भी मिलेगा। अभी आचार्य जी कुछ बोलते की इससे पहले वह स्त्री फिर बोल पड़ी – चेहरे से तो कोई छोटी जाति का लगता है। अब वीनू से रहा न गया । वह तेजी से कमरे के अंदर जाकर बोला -आप हमारी जाति जानना चाहते हैं -तो सुनिए हम सब अनाथ जाति के हैं और हमको इस तरह मोल- तोल करने वाले माता-पिता नहीं चाहिए । हम सब यहां बहुत खुश हैं।

हमारा भाई चिंटू इनके साथ नहीं जाएगा। वीनू के इस तरह बोलने पर हम सब बहुत खुश थे । आचार्य जी ने उनसे कहा आपको बच्चा नहीं बेजानदार खिलौना चाहिए। तभी तो भगवान ने आपको नि:संतान रखा ।आपकी इतनी सारी शर्तों को भगवान कैसे पूरा करता । अगर लड़की होती तो आप उसे मार देते क्योंकि आपको लड़का चाहिए और वह गोरा और सुंदर होना चाहिए । आप बाजार चले जायिये और वहां से प्लास्टिक का एक गुड्डा खरीद लीजिए। वह सुंदर भी होगा और उसकी जाति भी ऊँची होगी। हम गुड्डे नहीं पालते हैं। हम अपने हृदय के टुकड़े पालते हैं । हमारे लिए यह सब बच्चे भगवान का रूप हैं । हमने कभी इनको हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई नहीं समझा और न कभी इनको ऐसी शिक्षा दी। आचार्य जी की बातें सुनकर सब बच्चे जोर जोर से तालियां बजाने लगे। गोखले दंपत्ति सिर झुकाए खड़े थे । चिंटू दौड़ कर मेरे पास आ गया था ।
आज हमारे समाज की यही स्थिति है। शर्म आती है ऐसे समाज पर जो बच्चे को गोद लेते समय भी विभिन्न प्रकार से भेद-भाव करते हैं ।

लेखिका –
निशा नंदिनी गुप्ता
तिनसुकिया, असम

*डॉ. निशा नंदिनी भारतीय

13 सितंबर 1962 को रामपुर उत्तर प्रदेश जन्मी,डॉ.निशा गुप्ता (साहित्यिक नाम डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)वरिष्ठ साहित्यकार हैं। माता-पिता स्वर्गीय बैजनाथ गुप्ता व राधा देवी गुप्ता। पति श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता। बेटा रोचक गुप्ता और जुड़वा बेटियां रुमिता गुप्ता, रुहिता गुप्ता हैं। आपने हिन्दी,सामाजशास्त्र,दर्शन शास्त्र तीन विषयों में स्नाकोत्तर तथा बी.एड के उपरांत संत कबीर पर शोधकार्य किया। आप 38 वर्षों से तिनसुकिया असम में समाज सेवा में कार्यरत हैं। असमिया भाषा के उत्तरोत्तर विकास के साथ-साथ आपने हिन्दी को भी प्रतिष्ठित किया। असमिया संस्कृति और असमिया भाषा से आपका गहरा लगाव है, वैसे तो आप लगभग पांच दर्जन पुस्तकों की प्रणेता हैं...लेकिन असम की संस्कृति पर लिखी दो पुस्तकें उन्हें बहुत प्रिय है। "भारत का गौरव असम" और "असम की गौरवमयी संस्कृति" 15 वर्ष की आयु से लेखन कार्य में लगी हैं। काव्य संग्रह,निबंध संग्रह,कहानी संग्रह, जीवनी संग्रह,बाल साहित्य,यात्रा वृत्तांत,उपन्यास आदि सभी विधाओं में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। मुक्त-हृदय (बाल काव्य संग्रह) नया आकाश (लघुकथा संग्रह) दो पुस्तकों का संपादन भी किया है। लेखन के साथ-साथ नाटक मंचन, आलेखन कला, चित्रकला तथा हस्तशिल्प आदि में भी आपकी रुचि है। 30 वर्षों तक विभिन्न विद्यालयों व कॉलेज में अध्यापन कार्य किया है। वर्तमान में सलाहकार व काउंसलर है। देश-विदेश की लगभग छह दर्जन से अधिक प्रसिद्ध पत्र- पत्रिकाओं में लेख,कहानियाँ, कविताएं व निबंध आदि प्रकाशित हो चुके हैं। रामपुर उत्तर प्रदेश, डिब्रूगढ़ असम व दिल्ली आकाशवाणी से परिचर्चा कविता पाठ व वार्तालाप नाटक आदि का प्रसारण हो चुका है। दिल्ली दूरदर्शन से साहित्यिक साक्षात्कार।आप 13 देशों की साहित्यिक यात्रा कर चुकी हैं। संत गाडगे बाबा अमरावती विश्व विद्यालय के(प्रथम वर्ष) में अनिवार्य हिन्दी के लिए स्वीकृत पाठ्य पुस्तक "गुंजन" में "प्रयत्न" नामक कविता संकलित की गई है। "शिशु गीत" पुस्तक का तिनसुकिया, असम के विभिन्न विद्यालयों में पठन-पाठन हो रहा है। बाल उपन्यास-"जादूगरनी हलकारा" का असमिया में अनुवाद हो चुका है। "स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्व विद्यालय नांदेड़" में (बी.कॉम, बी.ए,बी.एस.सी (द्वितीय वर्ष) स्वीकृत पुस्तक "गद्य तरंग" में "वीरांगना कनकलता बरुआ" का जीवनी कृत लेख संकलित किया गया है। अपने 2020 में सबसे अधिक 860 सामाजिक कविताएं लिखने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। जिसके लिए प्रकृति फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया। 2021 में पॉलीथिन से गमले बनाकर पौधे लगाने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। 2022 सबसे लम्बी कविता "देखो सूरज खड़ा हुआ" इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। वर्तमान में आप "इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल न्यास" की मार्ग दर्शक, "शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास" की कार्यकर्ता, विवेकानंद केंद्र कन्या कुमारी की कार्यकर्ता, अहिंसा यात्रा की सूत्रधार, हार्ट केयर सोसायटी की सदस्य, नमो मंत्र फाउंडेशन की असम प्रदेश की कनवेनर, रामायण रिसर्च काउंसिल की राष्ट्रीय संयोजक हैं। आपको "मानव संसाधन मंत्रालय" की ओर से "माननीय शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी जी" द्वारा शिक्षण के क्षेत्र में प्रोत्साहन प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है। विक्रमशिला विश्व विद्यालय द्वारा "विद्या वाचस्पति" की उपाधि से सम्मानित किया गया। वैश्विक साहित्यिक व सांस्कृतिक महोत्सव इंडोनेशिया व मलेशिया में छत्तीसगढ़ द्वारा- साहित्य वैभव सम्मान, थाईलैंड के क्राबी महोत्सव में साहित्य वैभव सम्मान, हिन्दी साहित्य सम्मेलन असम द्वारा रजत जयंती के अवसर पर साहित्यकार सम्मान,भारत सरकार आकाशवाणी सर्वभाषा कवि सम्मेलन में मध्य प्रदेश द्वारा साहित्यकार सम्मान प्राप्त हुआ तथा वल्ड बुक रिकार्ड में दर्ज किया गया। बाल्यकाल से ही आपकी साहित्य में विशेष रुचि रही है...उसी के परिणाम स्वरूप आज देश विदेश के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उन्हें पढ़ा जा सकता है...इसके साथ ही देश विदेश के लगभग पांच दर्जन सम्मानों से सम्मानित हैं। आपके जीवन का उद्देश्य सकारात्मक सोच द्वारा सच्चे हृदय से अपने देश की सेवा करना और कफन के रूप में तिरंगा प्राप्त करना है। वर्तमान पता/ स्थाई पता-------- निशा नंदिनी भारतीय आर.के.विला बाँसबाड़ी, हिजीगुड़ी, गली- ज्ञानपीठ स्कूल तिनसुकिया, असम 786192 [email protected]