लघुकथा

तानाशाही सोच

निशा बस चलने के इन्तज़ार में थी कि अचानक प्राईवेट और सरकारी बस वालों में सवारियों और समय को लेकर झगडा हो गया और बात हाथापाई तक पहुँच गई। दोनों मे झगडा सवारियों को अपनी बस में बिठाने पर हुआ। तभी भीड़ में गाली-गलोच और पत्थर भी चलने लगे। पुलिस चोंकी पास ही थी। जीप भरी पुलिस आ गई। दोनों बस वालों को समझाते हुए इंस्पेक्टर साहिब बोले, “दोनों बारी-बारी सवारी ले जाओ। क्यों खून-खराबा करते हो?” तभी किसी शरारती तत्व ने पुलिस जीप पर पट्रोल छिडक आग लगा दी। युवा हंसने लगे, भगदड़ मच गई और बच्चे डर से रोने लगे। नारेबाजी शुरू हो गई। निशा डरी और सहमी अपने एक परिचित के साथ बात करती घर को चल पड़ी। वो कह रही थी, “सभ्यता व संस्कृति के विकास के साथ साथ अविवेक व तानाशाही सोच की प्रवृति ने मानव को दानव बना दिया है।”

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]