तानाशाही सोच
निशा बस चलने के इन्तज़ार में थी कि अचानक प्राईवेट और सरकारी बस वालों में सवारियों और समय को लेकर झगडा हो गया और बात हाथापाई तक पहुँच गई। दोनों मे झगडा सवारियों को अपनी बस में बिठाने पर हुआ। तभी भीड़ में गाली-गलोच और पत्थर भी चलने लगे। पुलिस चोंकी पास ही थी। जीप भरी पुलिस आ गई। दोनों बस वालों को समझाते हुए इंस्पेक्टर साहिब बोले, “दोनों बारी-बारी सवारी ले जाओ। क्यों खून-खराबा करते हो?” तभी किसी शरारती तत्व ने पुलिस जीप पर पट्रोल छिडक आग लगा दी। युवा हंसने लगे, भगदड़ मच गई और बच्चे डर से रोने लगे। नारेबाजी शुरू हो गई। निशा डरी और सहमी अपने एक परिचित के साथ बात करती घर को चल पड़ी। वो कह रही थी, “सभ्यता व संस्कृति के विकास के साथ साथ अविवेक व तानाशाही सोच की प्रवृति ने मानव को दानव बना दिया है।”
— रेखा मोहन