गीत/नवगीत

ज़रा फासले से रहा करो…..

जो भी दिल में हो वो कहा करो
कभी तुम में तुम भी दिखा करो
कभी खुद के एब दिखाई दें
ज़रा आइना भी तका करो

ज़हन को अपने रिहा करो,ज़रा फ़ासले से रहा करो

जो नही मिला वो क़रीब था
जो मिला बहुत ही अजीब था
ये जो मिल गया तो करम समझ
जो ना मिल सका वो नसीब था

यूँही ज़िंदगी को रवाँ करो,ज़रा फ़ासले से रहा करो

जो ना खुल सके वो किताब क्या
ये गुनाह क्यूं वो सवाब क्या
क्यूं ये खेल दुनिया में चल रहा
तेरे मेरे बीच हिसाब क्या

ये वहम है इसको फ़ना करो,ज़रा फ़ासले से रहा करो……….

अंकित शर्मा 'अज़ीज़'

ankitansh.sharma84@gmail.com