ख़िदमत में अपनी माँ की गुज़ारा करेंगे हम
ख़िदमत में अपनी माँ की गुज़ारा करेंगे हम
ऐसे बुलंद अपना सितारा करेंगे हम
आँसू बहा के अब न खसारा करेंगे हम
मिश्री सी ज़िंदगी को न खारा करेंगे हम
बनकर शज़र मिलोगे हमें जब कभी भी तुम
ख़्वाहिश के परिंदों को उतारा करेंगे हम
अब तो सुलह का रास्ता निकले कोई यहाँ
कब तक वफ़ाओं से यूँ किनारा करेंगे हम
जब जब तुम्हारे दिल को सतायेगा ग़म कोई
तब तब तुम्हारे दिल को सहारा करेंगे हम
सच बोलना गुनाह समझते हैं सब अगर
ऐसा गुनाह फिर तो दुबारा करेंगे हम
— माही
08 अगस्त, 2017