मुलाकात अच्छी थी !
वो झिलमिल सितारों वाली रात अच्छी थी।
अनायास हो गई उनसे मुलाकात अच्छी थी।
सोचते रहते थे नैन शाम औ सहर जिसको;
पहली बार मिले जब वो बरसात अच्छी थी।
तुम्हारी तस्वीर से भी गुफ्तगु हो जाती है कभी;
गुज़रे जो लम्हें तुम संग वो सौगात अच्छी थी।
मिले खुशी या गम हमें अब कोई गम नहीं है;
दो कदम चले जब साथ वो शुरुआत अच्छी थी।
दिलों के दरम्यां न फासले हो ये देखना तुम भी;
तुम्हें देख कर जो शुरु हुई वो प्रभात अच्छी थी।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !