कविता

हादसे…..

जिंदगी के कुछ हादसे,,,
जिंदगी से !
जिंदगी छीन लेते हैं

बस !
रोता रह जाता इंसान,,,
सर झुकाए बदहवास
हालत के आगे

घटनाएं इसकदर !
चोट करती है जीवन पर,,,
दुबारा !
उठकर चलने की हिम्मत,,,
टूट जाती है

बेजान निर्जीव शरीर किसी
वस्तु की भांति !
स्थिर पत्थर हो जाता है,,,

मर जाती है सारी ख्वाइशें
चूर-चूर हो जाती उम्मीदें,,,
बस जिंदगी दर्द भरी !
दास्तां बनकर रह जाती है

इतना अकेला हो जाता इंसान,,,
जान मारती तन्हाई
बस निगाहें !
अंतिम सफर के इन्तजार में
रस्ता देखती है

जिंदगी के कुछ हादसे,,,
जिंदगी से !
जिंदगी छीन लेते हैं

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]