हादसे…..
जिंदगी के कुछ हादसे,,,
जिंदगी से !
जिंदगी छीन लेते हैं
बस !
रोता रह जाता इंसान,,,
सर झुकाए बदहवास
हालत के आगे
घटनाएं इसकदर !
चोट करती है जीवन पर,,,
दुबारा !
उठकर चलने की हिम्मत,,,
टूट जाती है
बेजान निर्जीव शरीर किसी
वस्तु की भांति !
स्थिर पत्थर हो जाता है,,,
मर जाती है सारी ख्वाइशें
चूर-चूर हो जाती उम्मीदें,,,
बस जिंदगी दर्द भरी !
दास्तां बनकर रह जाती है
इतना अकेला हो जाता इंसान,,,
जान मारती तन्हाई
बस निगाहें !
अंतिम सफर के इन्तजार में
रस्ता देखती है
जिंदगी के कुछ हादसे,,,
जिंदगी से !
जिंदगी छीन लेते हैं