गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

मिली जीस्त दुर्लभ, बचाते रहो तुम
दुखों के पहाड़ें, हटाते रहो तुम |
कभी नींद आये न आये, पता क्या
सुहाने वो सपने, सजाते रहो तुम |
सभी प्रेमियों को रुलाया जमाना
चिरागे मुहब्बत जलाते रहो तुम |
वफ़ा के लिये जान कुर्बान जो दे
वही प्रेम नाता निभाते रहो तुम |
खुदाई में सबको मुहब्बत का’ हक़ है
विरोधी सखा को जताते रहो तुम |
सताया बहुत वक्त प्रेमी जुगल को
खता जो किया जग, बताते रहो तुम |
गुलों से सजा रूप गुलसन है’ जीवन
गुलों के महक को लुटाते रहो तुम |
कभी ना रुलाना बहुत है यहाँ गम
हँसाना है’ दुस्कर हँसाते रहो तुम |
ख़ुशी का वो’ लम्हा अगरचे मिले अब
सितारों से’ उसको चुराते रहो तुम |
पहाड़ी गुलों के वो’ रंगत उडी क्यों
दिवारें उठी जो गिराते रहो तुम |
मिलो और बोलो फतह दिल सभी का
नशा और ‘काली’ मिटाते रहो तुम |
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !