स्वास्थ्य

एक हृदयरोग विशेषज्ञ की खरी-खरी बातें

प्रसिद्ध हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ बी.एम. हेगड़े ने एक खरी बातचीत में हृदयरोगों की चिकित्सा और उत्तम स्वास्थ्य के बारे में अनेक भ्रामक धारणाओं का खंडन किया। गर्म पानी के गिलास में नीबू निचोड़ते हुए डॉ हेगड़े ने कहा- “यह अम्लीय पेट के लिए सबसे अच्छी दवा है। हर रोग के लिए आपको अस्पताल भागने की आवश्यकता नहीं है।” वे कहते हैं- “यदि आपके हृदय में रुकावट हो तब भी नहीं, क्योंकि धमनियों में रुकावट आना सामान्य बात है।”

इस प्रमुख हृदयरोग विशेषज्ञ ने यह भी ध्यान दिया है कि वास्तव में हृदयाघात की दर में एक प्रतिशत की भी निरपेक्ष वृद्धि नहीं हुई है। इसका केवल भय फैलाया गया है और यह रोग का नामकरण करने की ग़लती है। डॉ हेगड़े कहते हैं- “दुर्भाग्य से, सीने के हर दर्द को एंजाइना बता दिया जाता है और हर रुकावट को हृदय की धमनी का रोग कह दिया जाता है।”

“कोई भी व्यक्ति जो सीने में दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल आता है उसको एंजियोग्राम कराने के लिए बाध्य किया जाता है, जबकि हृदय की रुकावटों के समझने की आवश्यकता होती है।” वे कहते हैं। “रुकावटें तब भी होती हैं जब आप छोटी उम्र में होते हैं और जैसे ही वे बढ़ती हैं वैसे ही प्रकृति संपार्श्विक रक्तवाहिनियों के माध्यम से बाईपास उपलब्ध कराती है। इसको हृदय की पूर्व-चिकित्सा कहा जाता है।”

डॉ हेगड़े का मानना है कि कोई भी व्यक्ति जो चिकित्सा सहायता के लिए किसी डॉक्टर के पास जाता है रोगी बन जाता है। “एक बार इस बवंडर (whirlwind) में फँस जाने के बाद आप हमेशा रोगी बने रहते हैं।” यह अनुभवी हृदयरोग विशेषज्ञ अपने बेबाक़ बयानों के लिए जाने जाते रहे हैं। वे कहते हैं- “जब मैं विद्यार्थी था, तो मैं पूछता था कि यदि कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर द्वारा बनाया जाता है, तो यह बुरा कैसे हो सकता है? चालीस वर्ष पहले, मैंने लिखा था कि कोलेस्ट्रॉल हमारे तनाव का स्तर बढ़ने पर शरीर द्वारा निकाली गयी काट है। काफी समय पहले अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ कार्डियोलॉजी के सम्मेलन में मैंने कहा था कि नारियल का तेल हृदय के लिए सबसे अच्छा तेल है।”

“आजकल की चिकित्सा विधि में कमी यह है कि यह मानव शरीर को एक कार जैसी मशीन के रूप में देखती है, जिसकी मरम्मत अलग-अलग पुर्जों की तरह जा सकती है। जबकि हमें पूरे मानव शरीर को एक सम्पूर्ण इकाई मानना चाहिए और उसका पूरे का इलाज करना चाहिए। नहीं तो हम एक अंग के इलाज में प्रयोग की गयी दवा के साइड इफैक्ट को किस तरह समझा सकते हैं जिससे दूसरे अंग प्रभावित हो रहे हैं?” वे पूछते हैं।

40 से अधिक पुस्तकों के लेखक डॉ हेगड़े दवाओं के वैकल्पिक रूपों जैसे आयुर्वेद का भी समर्थन करते हैं। आयुर्वेद के संस्कृत पाठ्य का संदर्भ देते हुए वे बताते हैं कि कोई भी इलाज किस प्रकार अनिवार्य रूप से समग्र अर्थात् सम्पूर्ण होना चाहिए। वे कहते हैं- “दुर्भाग्य से आयुर्वेद को पीछे की सीट पर धकेल दिया गया है, यद्यपि यह चिकित्सा की परम्परागत और समृद्ध प्रणाली है।”

“जिस वातावरण में आप रहते हैं उससे स्वास्थ्य बनता है और शरीर के वातावरण से मस्तिष्क बनता है। आप जो खाते हैं वह नहीं, बल्कि जो विचार आपको खाते हैं वे ही आपको मार देते हैं।” वे कहते हैं। “मूलमंत्र यह है कि आप सकारात्मक विचारों की ही खेती करें और हमेशा सकारात्मक भावनाओं से घिरे रहें। क्वांटम हीलिंग चिकित्सा की नई पद्धति है। आपका मस्तिष्क आपकी चिकित्सा कर सकता है।” वे अमित गोस्वामी द्वारा लिखित पुस्तक क्वांटम डॉक्टर (Quantum Doctor) पढने का सुझाव देते हैं।

डॉ हेगड़े आजकल के शहरी युवाओं में फैले हुए फ़िटनेस के पागलपन का विरोध करते हैं, जो इस विश्वास से चल रहा है कि फ़िटनेस से अच्छा स्वास्थ्य बनता है। “स्वास्थ्य मस्तिष्क का विषय है, जबकि फ़िटनेस केवल माँसपेशियों की वस्तु है। ये दोनों अलग-अलग चीज़ें हैं जिनको भ्रम से एक ही समझ लिया जाता है। यदि कोई व्यक्ति मैराथन में दौड़ने में सक्षम है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह स्वस्थ जीवन जीने में भी सक्षम है।”

“रोग का अभाव भी स्वास्थ्य नहीं है, क्योंकि हम सभी को रोग होते हैं। हम सबके शरीर में हर समय सौ से अधिक कैंसर कोशिकायें होती हैं, लेकिन उनसे कैंसर रोग नहीं बनता, क्योंकि वे कोशिकायें अपने आप मर जाती हैं।” आयुर्वेद का एक श्लोक सुनाते हुए डॉ हेगड़े ने स्वास्थ्य की परिभाषा ‘कर्म और प्रेम के लिए उत्साह’ के रूप में दी। “स्वयं में उत्साह बनाये रखिए, सकारात्मकता को पुष्ट कीजिए और नकारात्मकता को काट-छाँट दीजिए। ऐसा करने पर आप स्वस्थ रहेंगे।” यह उनका सरल मंत्र है।

डॉ हेगड़े उस पद्धति से इलाज करते हैं जिसको वे “समन्वित चिकित्सा” (Coordinated medicine) कहते हैं अर्थात् भविष्योन्मुखी और स्वयं चिकित्सा। वे कहते हैं- “मैं विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों से तत्व लेता हूँ। उदाहरण के लिए, आधुनिक चिकित्सा प्रणाली से मैं आपात्कालीन देखभाल और निवारक शल्य चिकित्सा लेता हूँ। मैं रोगियों को ढेर सारी दवायें नहीं देता और अनावश्यक इलाज नहीं करता।”

आधुनिक चिकित्सा प्रणाली को अनन्य और न्यूनकारी कहते हुए डॉ हेगड़े उनकी ट्रायल-एंड-एरर विधि की कठोर आलोचना करते हैं जिसमें रोगियों पर बार-बार स्कैन, दवायें और जाँच डाली जाती है। “मैंने स्वास्थ्य की एक नई परिभाषा और एक अंग के बजाय पूरे शरीर की चिकित्सा की अवधारणा दी है, जिनको इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडीसिन द्वारा स्वीकार किया जा चुका है।

शाकाहारी होने के कारण डॉ हेगड़े परम्परागत विधि से तैयार और स्थानीय तौर पर उगाये गये भोजन को ग्रहण करने का सुझाव देते हैं। “हमें वही खाना चाहिए, जो हमारे पूर्वज खाया करते थे। मदुराई (दक्षिण भारत का एक नगर) में भूमध्य रेखा का भोजन करना आपके शरीर के लिए अनुकूल नहीं होगा। वहीं पर उगाये गये ताज़ा फलों और सब्ज़ियों को खाइए तथा पीढ़ियों से चले आ रहे पकवानों का आदर कीजिए।” एक अनुभवी डॉक्टर के रूप में डॉ हेगड़े कहते हैं कि प्रत्येक डॉक्टर को अच्छी नीतियों पर चलना चाहिए क्योंकि वे मानव जीवनों को संभालते हैं।

(मूल अंग्रेज़ी से अनुवादित)

टिप्पणी- इस लेख में डॉ हेगड़े की हर बात लाख-लाख टके की है। डॉ साहब ने एक महत्वपूर्ण शब्द का प्रयोग किया है, वह है- whirlwind यानी बवंडर या भँवर ! इसका तात्पर्य है  कि जो एक बार दवाओं के चक्कर में फँस गया, वह हमेशा के लिए घनचक्कर बन जाता है।
ठीक यही बात प्रारम्भ से मैं भी कहता रहा हूँ। मेरी “स्वास्थ्य रहस्य” पुस्तिका इन्हीं बातों से भरी पड़ी है। यह महत्वपूर्ण लेख साझा करने के लिए मैं इसका हिन्दी अनुवाद करके प्रचारित कर रहा हूँ।

विजय कुमार सिंघल
श्रावण शु १३, सं २०७४ वि (५ अगस्त २०१७)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com