गीत/नवगीत

गीत- ऐसा नहीं किया जाता है

गुमसुम-गुमसुम रहते हो क्यों?
दिल की बात न कहते हो क्यों?
अपनों सँग संकोची बनकर
ऐसे नहीं जिया जाता है.
ऐसा नहीं किया जाता है.

अपने पर यों घात करो मत.
अभी दिवस है रात करो मत.
अमृत अगर नहीं मिल पाये
तो क्या ज़हर पिया जाता है?
ऐसा नहीं किया जाता है.

तन्हाई को काटो-छाँटो.
अपना ग़म अपनों सँग बाँटो.
सदा निभाते सँग जो, उनको
क्या सँग नहीं लिया जाता है?
ऐसा नहीं किया जाता है

— डॉ कमलेश द्विवेदी
मो. 9415474674