दोषी कौन……..?
दे दूं मैं दोष किसे यह बतलाओ,
मिटती मानवता का कारण बतलाओ।
अभी-अभी जो जन्मा उसका दोषी कौन,
कैसा विकास? जन्म सड़क पर समझाओ।।
तन का रक्त बहा सड़क पर,
शर्म हया बह गया सड़क पर।
गरीबों से सुविधाऐं सौ कदम दूर,
मां तन ढके या दर्द सहे बैठ सड़क पर।।
यह तस्वीर बहुत ही डराती है,
अब तो शर्म खड़ी शर्माती है।
बेशर्मों में लूट मची है रातों दिन,
मां बैठ सड़क पर घबराती है।।
धिक्कार मुझे, तुझको, उसको भी थोड़ा सा,
बंद आंख किये चल दिए नहीं रोका थोड़ा सा।
थोड़ी-थोड़ी लालच ने भ्रष्टाचार बढ़ाया है,
चल रोकूं मैं, तू भी चल, उसको भी बुला थोड़ा सा।।
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।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761