सरजी ! नो उल्लू बनाविंग
आजकल न्यू इंडिया के चर्चे हर जुबां पर है। मोदीजी के मन की उपज है इंडिया को 2022 यानि कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर न्यू इंडिया बनना। लेकिन, हुजूर ! आपका शासनकाल तो 2019 तक ही है फिर कैसे न्यू इंडिया का स्वप्न पूरा हो पायेगा। यानि की जनता यदि इंडिया को न्यू इंडिया बनते देखना चाहती है तो 2022 तक मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाये रखे। न्यू इंडिया का भविष्य क्या होगा बरहाल यह भविष्य के हवाले ही छोड़ देते है। वैसे मोदीजी नया भारत भी बना सकते थे। आखिरकार देश ने बीते सालों में नामों की ही तो प्रगति की है। हिन्दुस्तान से भारत, भारत से इंडिया और इंडिया से न्यू इंडिया तक का सफर हमारे विकासशील होने का सबूत है। दरअसल, इन नामों के साथ देशवासियों के चरित्र और सोच का गहरा संबंध जुड़ा हुआ है।
मसलन, जब हिन्दुस्तान था तो लोग लोगों के लिए जान दे देते थे। फिर भारत बना तो भी लोगों में मर-मिटने का भाव दिखा। सिर्फ भाव ही दिखा। लेकिन जब से इंडिया बनने लगा तो तब से इस भाव का भी अभाव होने लगा। आज एक-दूसरे के लिए जान देने की परंपरा अब जान लेने में परिवर्तित हो गयी है। खैर ! परिवर्तन ही संसार का नियम है। अब यहां सोचनीय है कि न्यू इंडिया में इंसानियत का हाल क्या होगा ? जब इंडिया में बच्चें बिना ऑक्सीजन के मर जाते है। तो न्यू इंडिया में तो सरकारी अस्पताल शमशान का पर्याय हो जायेंगे और डॉक्टर भगवान के अवतार की जगह साक्षात् यमराज कहलायेंगे।
बाजार में सब्जी खरीदने गया तो सब्जीवाले ने पूछ लिया – भाईसाहब ! तनिक बताईये तो खरा कि जो न्यू इंडिया बनाने की बात हो रही है वो क्या सही में हो रही है ? तो क्या न्यू इंडिया बनने से हमें कोणो फायदा-वायदा भी होगा कि नहीं। मैंने कहा – भाई, जब भारत से इंडिया बना और इंडिया से डिजिटल इंडिया बना तो क्या तुमे कोई फायदा मिला था कि नहीं ? तुम्हारी आमदनी बढी कि नहीं ? तुम्हारे यहां सब्जी खरीदने आने वाले ने ये कहा था कि सब्जी बड़ी सस्ती दे रहे हो ? जबाव में सब्जीवाले ने कहा – नही भाईसाहब, क्यूं मजाक कर रहे हो। मैंने कहा भाई मजाक कौन कर रहा है ये तुम अभी नहीं समझ आयेगा। जब तुम्हारा ये सब्जी का ठेला न्यू इंडिया में गायब हो जायेगा और जिस जगह तुम खडे हो वहां बडा माॅल बनेगा तब तुमे समझ आयेगा।
सुंदर लेखन ! लेकिन मोदीजी 2024 तक रहनेवाले हैं ऐसा कयास लगाया जा रहा है । उम्मीद करें कि न्यू इंडिया इंडिया से ज्यादा हटकर न हो ।