सच्चे साधु की पहचान
(यह लेख मैंने कई वर्ष पहले तब लिखा था जब मैं नभाटा में ब्लॉग लिखा करता था. यह आज अधिक प्रासंगिक हो गया है, इसलिए यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ.)
वर्तमान में नकली और ढोंगी साधुओं ने वातावरण को इतना प्रदूषित कर रखा है कि लोग सच्चे साधुओं पर भी शंका करते हैं। इसका कारण यह है कि यह पहचानना बहुत मुश्किल हो गया है कि कौन सच्चा साधु है और कौन ढोंगी साधु है। एक विद्वान् ने सच्चे साधुओं की ऐसी पहचान बतायी है, जिसके द्वारा हम नकली और असली साधु में सरलता से भेद कर सकते हैं।
इस विद्वान् के अनुसार सच्चा साधु तीन बातों से हमेशा दूर रहता है- नमस्कार, चमत्कार और दमस्कार। इनके अर्थ जरा विस्तार से बताना आवश्यक है।
‘नमस्कार’ से दूर रहने का अर्थ है कि सच्चा साधु केवल अपने से बड़े साधु को प्रणाम करता है, किसी गृहस्थी को कभी नहीं, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली या शक्तिशाली क्यों न हो। जो साधु किसी ताकतवर गृहस्थी को स्वयं पहल करके प्रणाम करता है, वह चापलूस हो सकता है, साधु नहीं।
‘चमत्कार’ से दूर रहने का अर्थ है कि सच्चा साधु कोई चमत्कार नहीं दिखाता। चमत्कार दिखाकर लोगों को भ्रमित करने वाले व्यक्ति जादूगर या बाजीगर हो सकते हैं, साधु नहीं। सच्चा साधु तो हर जगह केवल परम प्रभु की कृपा का ही चमत्कार देखता है। कभी उसका श्रेय स्वयं नहीं लेता।
‘दमस्कार’ के दूर रहने का अर्थ है कि सच्चा साधु कभी अपने लिए धन एकत्र नहीं करता और न किसी से धन की याचना करता है। वह केवल अपनी आवश्यकता की न्यूनतम वस्तुएं माँग सकता है, कोई संग्रह नहीं करता। धन माँगने और संग्रह करने वाला व्यक्ति निश्चय ही ढोंगी होता है, सच्चा साधु नहीं। अपने रहने के लिए भी वह केवल एक छोटा सा आश्रम या कमरा या झोंपड़ी बना सकता है और साधारण तरीके से रह सकता है। आडम्बरपूर्ण 5 स्टार आश्रम बनाने वाले और चाहे कुछ भी हों, पर सच्चे साधु तो बिल्कुल नहीं हो सकते।
यदि हम अपने सम्पर्क में आने वाले साधुओं पर इन तीन कसौटियों को लागू करें, तो सरलता से पहचान सकते हैं कि कौन सा साधु सच्चा है और कौन सा झूठा।
— विजय कुमार सिंघल
भाद्रपद शु 6, सं 2074 वि (27 अगस्त 2017)
आदरणीय सिंघल जी,
आपके इस लेख को पढ़कर ही यह रचना प्रकाशित करने का मन बना । आपने सच्चे साधू के जो गन बताये हैं उनकी फोटो देखकर आप उनकी सादगी और लेख पढ़कर उनकी उच्चतम आध्यात्मिक स्थिति को जान जाओगे
आपका लेख प्रेरणादायक है ।
प्रिय विजय भाई जी, लेख समसामयिक तो है ही, अत्यंत प्रभावशाली भी. अत्यंत सटीक व सार्थक रचना के लिए आपका हार्दिक आभार.
प्रणाम, बहिन जी ! आभार !!
सुंदर समसामयिक लेख ।
हार्दिक धन्यवाद, भाई साहब !
उत्कृष्ट लेख ।
हार्दिक धन्यवाद!