सुकून
तमाम उम्र गुजर गई
जरूरतें पूरी हुई नहीं
किये हैं अनगिनत शौक
फिर भी इच्छाएं मरी नहीं
हर रोज सागर में लगाए हैं गोते
पर प्यास वो मिटी नहीं
कब्र में धस गया एक पैर
अपने गुनाहों से तौबा किया नहीं
नैकी कर दरिया में डाल
इसमें कभी विश्वास हुआ नहीं
लगता है अब मुझे
इसीलिए सुकून आजतक मिला नहीं
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
गांव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा , 283111