मुक्तक/दोहा हमने प्रवीण माटी 16/10/2017 हमनें आन, बान और शान लिखा है हमनें लहू का कतरा-कतरा प्राण लिखा है हमनें तप ,त्याग वैराग लिखा है हमनें बुद्धि बल और ज्ञान लिखा है