“आओ प्यार की बातें करें”
आओ फिर से हम नये, उपहार की बातें करें
प्यार का मौसम है, आओ प्यार की बातें करें।
नेह की लेकर मथानी, सिन्धु का मन्थन करें,
छोड़ कर छल-छद्म, कुछ उपकार की बातें करें।
आस का अंकुर उगाओ, दीप खुशियों के जलें,
प्रीत का संसार है, संसार की बातें करें।
भावनाओं के नगर में, छेड़ दो वीणा के सुर,
घर सजायें स्वर्ग सा, मनुहार की बातें करें।
कदम आगे तो बढ़ाओ, सामने मंजिल खड़ी,
जीत के माहौल है, क्यों हार की बातें करें।
जिधर देखो, उधर ही है, बोलबाला “रूप” का,
सादगी के साथ हम, अधिकार की बातें करें।
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
वाह जी वाह बहुत सुन्दर।