ऐसी भाषा तो —-
मुगलों के टुकडो पर पलने वाले और उनके दरबार में अच्छा अच्छा ओहदा और रूतबा पाए मानसिंह , जयचंद ! अंग्रेजो की चापलूसी और देश के साथ गद्दारी करके मस्नाब दार बने हिन्दुस्तानी भी ऐसी भाषा नहीं बोलते थे जैसा की आजकल कन्हैया , चिदंबरम , मणिशंकर , फारुख अब्दुल्ला बोल रहे है और आश्चर्यजनक रूप से राहुल केजरीवाल बामपंथी उनके सुर में सुर मिला रहे है / ऐसे लोग भूल गए है की इस देश में मानसिंह और जयचंद ही नहीं पैदा हुए थे , इस देश में राणा प्रताप , शिवा जी , भगत सिंह , आजाद , उधम सिंह और गोडसे भी पैदा हुए थे जो लन्दन तक जा कर गद्दारों को मारे थे / लेकिन इन लोगो को ऐसे लोगो का कोई डर ही नहीं रह गया है और हो भी कैसे जब पूरा हिन्दू समाज नपुंसक हो गया है / आजम ओवैसी तो ललकार ही रहे थे अब ममता बनर्जी उनसे भी दो हाँथ आगे निकल गई है और देश उस कानून और न्यायालय की तरफ देख रहा है जिसके वजह से लालू एसी में सो रहे है और रामलला 70 साल से तम्बू में ! कितना ताज्जुब होता है की उस समय अशिक्षित कोल भील , आदिवासी जातिया राणाप्रताप के साथ थी , महा कंजूस बनिया भामाशाह देश के लिए वह सबकुछ लुटाने को तैयार था जिसे वह अकबर के ही शासनकाल में कमाया था / आज तो साड़ी कम्बल पर लोगो की निष्ठा बदल जा रही है / सारी पहाड़ी जातीया शिवाजी के साथ थी / आज तो लोग बौद्ध इसाई मुसलमान बन्ने का धौंस जमा ही रहे है , हिंदूवादी विचारधारा को हराने के लिए हिन्दुबिरोधी ताकतों का धड़ल्ले से साथ भी दे रहे है / लोकतंत्र की मजबूरियों के कारण मोदी तीन साल में इनका भले कुछ नहीं कर पाए लेकी मोदी मजबूर है , राष्ट्रवादी नहीं ! अगर राष्ट्रवादी एकजुट न हुए और कांग्रेस तथा उसके सहयोगी सत्ता में आये तो इतना तो निश्चित है की गौए सड़क पर नहीं मंदिर में कांटी जाएगी , सारे विद्यालयों में कन्हैया की भरमार हो जाएगी , कश्मीर तो हाँथ से निकल ही जाएगा , भारत का एक टुकडा और होगा. अन्यथा सभी राष्ट्रवादी शक्तियों को उसी तरह एकजुट होना होगा जिस तरह इस्लामी कट्टरपंथी और कुछ हिन्दू समाज अपने तुच्छ लाभ के लिए एक हो जाते है /
सुंदर चिंतन ! लेकिन होगा क्या ? मोदीजी को हिंदुत्व के साथ साथ लोगों की रोजी रोटी का भी ध्यान रखना होगा ।