जाने कौन ?
कितने पाखण्डी
बन धर्मगुरु
करें ढोंग, अधर्म,
पाखण्ड और मनमानी
फैलाए तिलिस्म,
असत्य की जमीं पर !
कहें…
खुद ही को,
रब के बंदे !
नित रोज रचें,
फरेब के फंदे !
और…
इस माया जाल में,
हो आसक्त,
भटकें भक्त या
फिर खुद अधर्मी बाबा
जाने कौन ? ?
अंजु गुप्ता