गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

प्यार से माँ की वो’ लोरी गुन्गुनानी फिर कहाँ
राज कन्या राज रानी की कहानी फिर कहाँ ?
तुम ही’ लायी थी बहारें जिंदगी में दिलरुबा
तुम चली जब से गयी, वो जिन्दगानी फिर कहाँ ?
कुर्सी’ सबको चाहिए पर देश रक्षा के लिए
सर कटाने देश प्रेमी, स्वाभिमानी फिर कहाँ ?
क्या वे’ दिन थे यार, करते मौज मस्ती साथ में
मिलते’ सब अब भी वहीँ, पर मेजवानी फिर कहाँ ?
वक्त ने जो ज़ुल्म ढाया, जिंदगी तो बच गई
इस पुराने खण्डहर में, वो रवानी फिर कहाँ ?
एक बार और आगे’ हम यह जीस्त जीना चाहते
ये अगर मिल भी गई. तो वह जवानी फिर कहाँ ?
बाढ़ ने जब कूल तोड़ा, तब नदी तो मिट गई
जिंदगी ही जब नहीं तो, अब निशानी फिर कहाँ ?
इक थी रानी झांसी’ हिम्मत से लड़ाई की सदा
ढूंढ लो इतिहास, देखो वैसी’ रानी फिर कहाँ |
दोस्ती की बात करते, किन्तु खंजर हाथ में
बारहा ‘काली’ कहे यह बेइमानी फिर कहाँ |

कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !