कविता

आज की नारी

मर्यादा की बेड़ियाँ… तोड़ती
सड़ी-गली परम्पराएँ… पीछे छोड़ती ।
सदियों से बिछे हुए… जाल हटाती
तोड़ चक्रव्यू… नये ख्वाब सजाती।
पितृसत्ता को देती चुनौती…
आज की नारी
अक्सर,,,
घोषित कर दी जाती है …
“बे-पर्दा” औरत
खुद ही… दूजी नारी के द्वारा ।
फिर भी …
बुन रही है… नारी इक पर्दा
ओढ़ जिसे वो घोषित करे …
अपनी स्वतँत्रता ॥

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed