माँ
माँ मंदिर है
मूर्ती है
पूजा की
थाल है
ममता की
मूरत है
माँ जीवन में
खिली कमल है
फूलों की महक है
सुंदर सी
अरमान है
धर आँगन की
सूरत है
माँ खुशियों की
बौछार है
बसंत बहार है
सुन्दर सी
मुस्कान है
माँ काशी है
प्रयाग है
वट वृक्ष
की छाँव है
माँ के चरण
मे ही चारों
धाम है
माँ की तुलना
ही अतुलनीय है!
— बिजया लक्ष्मी
बहुत सुंदर,भावपूर्ण सृजन।